बेटे के लिए राजनीति सन्यास को भी तैयार थीं डॉ. जोशी
डॉ. रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक जोशी को लखनऊ कैंट से टिकट दिलाने के लिए राजनीति से सन्यास लेने तक की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा में परिवारवाद नहीं चलता है। इस कारण एक ही परिवार के दो सदस्यों को टिकट मिलना मुश्किल होगा। ऐसे में अगर पार्टी कहेगी तो वे इलाहाबाद के सांसद पद से त्यागपत्र दे देंगी। इसके अलावा वे सक्रिय राजनीति से भी दूर जाने की बात कह रही थीं। लेकिन, इस सीट के दावेदारों की संख्या इतनी ज्यादा है कि पार्टी किसी निष्कर्ष तक पहुंचने में अब तक कामयाब नहीं हो सकी। इसके बाद खबर आ रही है कि मयंक समाजवादी पार्टी से लखनऊ कैंट सीट से उम्मीदवार बन सकते हैं।
2019 में छोड़ी थी मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी
मयंक जोशी ने पढ़ाई पूरी करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी भी की। वे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी मां के लिए लगातार प्रचार अभियान में जुटे। रीता बहुगुणा जोशी का दावा है कि मयंक 12 वर्षों से समाजसेवा के कार्यों में जुटे रहे हैं। वे वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए कैंट विधानसभा सीट पर प्रचार अभियान में उतरे थे। उनके बारे में स्थानीय लोगों का भी कहना है कि मयंक मृदुभाषी और हर किसी की सुनने वाले नेता हैं। उनको वर्ष 2019 के विधानभा उप चुनाव में ही टिकट देने की मांग उठी थी। हालांकि, तब पार्टी हाईकमान ने सुरेश तिवारी को टिकट दे दिया।
रीता बहुगुणा जोशी ने बेटे को टिकट न मिलने की स्थिति में चुनावी राजनीति से सन्यास लेने की भी घोषणा कर दी है। डॉ. जोशी इस सीट से वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सुरेश तिवारी को करीब 22 हजार वोटों से हरा चुकी हैं। वर्ष 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और सपा की प्रत्याशी अपर्णा यादव को 34 हजार वोटों से हराया। उनका कहना है कि बेटे को किसी भी फैसला लेने से वे रोकेंगी नहीं। डॉ. जोशी का मानना है कि उनके बेटे को उसके कार्य के आधार पर टिकट मिलना चाहिए।