भारतीय संविधान के अंतर्गत कई भाषाओं को मान्यता दी गई है। संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं के द्वारा संबंधित राज्यों में सरकारी कामकाज किए जा सकते हैं। साथ ही भारत सरकार इन भाषाओं को सुरक्षित रखने और प्रमोट करने के लिए हर संभव प्रयास करती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएं कौन सी है? या संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं की संख्या क्या है? (hindi bhasha ko samvidhan mein manyata kab di gayi) यदि आप नहीं जानते और जानना चाहते हैं तो आज के लिए हमारे साथ अंतर हम आपको बताएंगे कि संविधान में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं की संख्या क्या है। तो चलिए शुरू करते हैं:-
भारत में भाषाएं
भारत एक विविधता से परिपूर्ण देश है और यदि भाषाओं के संदर्भ में बात की जाए तो भारत में हजारों भाषाएं बोली जाती हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि हर 10 किलोमीटर में भाषाएं भारत में परिवर्तित हो जाती है वह हर 1 किलोमीटर पर किसी भी भाषा को बोलने का तरीका परिवर्तित हो जाता है।
यदि हम वर्तमान समय में बहुत बड़ी संख्या के द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं के नाम आपको बताएं तो इनके नाम कुछ इस प्रकार होंगे तमिल भाषा, हिंदी भाषा, तेलुगु भाषा, कन्नड़, मलयालम, बंगाली, मराठी, उर्दू, ओड़िया, असामी, गुजराती, पंजाबी, संस्कृत, नेपाली, मैथिली, संथाली, कोंकणी, बोड़ो, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी, मणिपुरी, भोजपुरी, मुंडारी, कुरुख, राजस्थानी, खासी, मिजो, गोंडी, प्राकृत, लद्दाखी, हिंदुस्तानी, इंडो-आर्यन लैंग्वेज, तमांग, परिसियन, संबलपुरी भाषाएं, यह सभी भाषाएं वर्तमान समय में भारत में सर्वाधिक बोली जाती है।
यदि मुख्य भाषाओं की बात की जाए तो वर्तमान समय में भाषाएं भारत में जो 22 भाषाएं मुख्य भाषाओं का दर्जा प्राप्त कर चुकी है और इनके अलावा तकरीबन 1600 से भी अधिक भाषाएं भारत में बोली जाती है। यदि 1600 भाषाओं के डायलेक्ट की बात की जाए तो यह भाषाएं 10000 से भी अधिक भाषाओं में परिवर्तित की जा सकती है।
संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं की संख्या

वर्तमान समय में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएं भारतीय संविधान की अनुसूची संख्या आठ में विस्तृत रूप से सम्मिलित की गई है। इनके नाम कुछ इस प्रकार है असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ऑडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, और संथाली, मैथिली और डोंगरी।
इन सबके अलावा भी भारत में आज के समय तकरीबन 38 ऐसी भाषाएं हैं जो संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान पाने के लिए इंतजार कर रही है इनका नाम कुछ इस प्रकार है अंगिका, बंजारा, बंजीका, भोजपुरी, भोटी, भोटिया, बुंदेलखंडी, छत्तीसगढ़ी, धतकी, अंग्रेजी, गढ़वाली, गोंडी, गुज्जरी, हो, कुचाछी, कातमपुरी, कारबी, खासी, कोडवा, बराक, कुमाऊनी, कुरुख, कुर्माली, लेपचा, लिंबू, मीजो, मगही मुंडारी, नागपुरी, निकोबारी, पहाड़ी, पाली, राजस्थानी, संबलपुरी, शौरसेनी, सिरैकी, तेनीयादी आदि
संविधान की आठवीं अनुसूची में भाषाओं को शामिल करने के लिए मानदंड
गृह मंत्रालय के अंतर्गत श्री किरण रिजिजू ने एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए यह कहा था कि संविधान की आठवीं अनुसूची में भाषाओं को शामिल करने के लिए विषय पर एक मानदंडों का कोई स्थापित सेट नहीं है, और इसलिए संविधान की आठवीं अनुसूची में भाषाओं को शामिल करने की मांग पर विचार करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है।
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निष्कर्ष
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