नमस्कार दोस्तो, यदि आप हिंदी विषय के अंतर्गत रुचि रखते हैं, या फिर आप हिंदी साहित्य के अंतर्गत रुचि रखते हैं, तो आपने अनुप्रास अलंकार के बारे में तो जरूर सुना होगा, जो कि हिंदी साहित्य के अंतर्गत एक काफी महत्वपूर्ण टॉपिक होता है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि अनुप्रास अलंकार की परिभाषा क्या होती है, अनुप्रास अलंकार के उदाहरण क्या है, (anupras alankar ka udaharan likhkar spashtikaran kijiye), यदि आपको इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
हम आपको इस पोस्ट के अंतर्गत हम आपको बताने वाले हैं कि अनुप्रास अलंकार की परिभाषा क्या होती है, इन के कितने प्रकार होते हैं, इसके अलावा हम आपको इस विषय से जुड़ी हर एक जानकारी इस पोस्ट में देने वाले हैं।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा | anupras alankar ki paribhasha udaharan sahit likhiye
जहां पर हमें किसी व्यंजन वर्ण की आवर्ती देखने को मिलती है, वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है। या फिर जहां पर हमें किसी व्यंजन वर्ण का दोहराना देखने को मिलता है, वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है।
इसको अगर आसान भाषा में समझा जाए तो यदि कोई अक्सर बार-बार आता है, या फिर कोई वरुण को बार-बार दोहराया जाता है, तो वहां पर अनुप्रास अलंकार देखने को मिलता है।
दोस्तों अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना होता है। जिसके अंतर्गत अनु और प्रास दो शब्द शामिल होते हैं। यहां पर अनु का अर्थ होता है आवर्ती या फिर दोहराना, इसके अलावा यहां पर प्रास का अर्थ वर्ण होता है। तो इसका यह मतलब निकलता है, कि हमें अनुप्रास अलंकार के अंतर्गत वर्ण का दोहराना देखने को मिलता है।
अनुप्रास अलंकार के भेद | anupras alankar ke prakar
अनुप्रास अलंकार को 5 भागों के अंतर्गत बांटा गया है:-

- छेकानुप्रास अलंकार
- वृत्यानुप्रास अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण (anupras alankar ko udaharan sahit likhiye)
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार से है :-
- “तरनि-तनूजा तट तमाल तरूवर बहु छाये।”
- कूकै लगी कोयल कदंबन पर बैठी फेरि।
- प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि
- बरसत बारिद बून्द गहि
- जो खग हौं बसेरो करौं मिल, कालिन्दी कूल कदम्ब की डारन।
- बुझत स्याम कौन तू गोरी। कहाँ रहत काकी है बेटी।
- कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सन राम हृदय गुनि। ।
- चमक गई चपला चम चम
- मुदित महीपति मंदिर आये। सेवक सचिव सुमंत बुलाये। ।
- सहज सुभाय सुभग तन गोरे।
- कुकि – कुकि कलित कुंजन करत कलोल
- बंदऊं गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
- रावनु रथी विरथ रघुवीरा
- सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं।
- कर कानन कुंडल मोर पखा, उर पे बनमाल बिराजति है।
- खेदी -खेदी खाती दीह दारुन दलन की
- पुरइन पात रहत ज्यों जल मन की मन ही माँझ रही।
- तेही निसि सीता पहुँ जाई। त्रिजटा कहि सब कथा सुनाई॥
- राम नाम-अवलंब बिनु परमार्थ की आस , बरसत बारिद बूँद गहि चाहत चढ़न अकास।
Also read:
निष्कर्ष
तो इस पोस्ट के अंतर्गत हमने आपको बताया, कि अनुप्रास अलंकार की परिभाषा क्या होती है, ओर अनुप्रास अलंकार के उदाहरण क्या क्या होते हैं, (anupras alankar kise kahate hain), इसके अलावा इस विषय से जुड़ी अन्य जानकारी अभी हमने आपके साथ शेयर की है। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई है, फिर तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है।